व्यवहार कुशल लोग लेखक की आलोचना इसलिए करती हैं, क्योंकि लेखक का प्रकृति के प्रति प्रेम और उनकी जान जोखिम में डालने की आदत उनको पसंद नहीं आती।
लेखक अक्सर प्रकृति के अधिक निकट रहते हैं। जंगलों में जाकर प्रकृति को अधिक निकट रहना तथा अपनी जान जोखिम में डालने की प्रवृत्ति के कारण अक्सर व्यवहार कुशल लोग उनकी आलोचना करते हैं।
इन लोगों के मतानुसार लेखक अपनी जिंदगी के कीमती समय को जंगलों की खाक छानने में बर्बाद कर रहे हैं। लेखक न केवल अपने कीमती दिन बर्बाद करते हैं बल्कि वह अपनी इस गतिविधियों को बेहद उत्साह से पुस्तकों के माध्यम से वर्णन भी करते हैं।
बहुत से लोगों को उनकी यह आदत पसंद नहीं। ऐसे व्यवहार कुशल लोगों को लगता है कि लेखक जंगलों में व्यर्थ ही अपना समय गवांते हैं, इस कारण व्यवहार कुशल लोग लेखक की प्रकृति प्रेम और जान में जोखिम में डालने की आदत के कारण अक्सर उनकी आलोचना करते हैं।
टिप्पणी
‘प्रकृति का सानिध्य’ पाठ लेखक ‘काका कालेलकर’ द्वारा लिखा गया विचारशील निबंध है, जिसमें उन्होंने प्रकृति के प्रति अपने प्रेम तथा प्रकृति के निकट रहने के अपने अनुभवों का वर्णन किया है।
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