पक्षी अपनी आज़ादी के लिए सब कुछ छोड़ने के लिए तैयार हैं। वह अपने घोसले को छोड़ने के लिए तैयार हैं। वह कहते हैं कि भले ही हमारा आश्रय यानी हमारा घोसला तोड़फोड़ डालो। हमें पेड़ों की टहनियों पर मत बैठने दो, लेकिन हमारी उन्मुक्त गगन में उड़ने की आजादी को मत छीनो।
पक्षी कहते हैं कि हम बहता हुआ जल पीने वाले और कड़वी निबोरी को खाने वाले सोने की कटोरी के मेवा आदि से बने पकवानों को छोड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमसे हमारी आजादी मत छीनो।
इस तरह पक्षी वे सभी सुखों को त्यागने के लिए तैयार हैं जो उन्हें आजाद पक्षी के रूप में या पिंजरे बंद पक्षी के रूप में प्राप्त हैं, लेकिन वह अपनी आजादी को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहते हैं। वह उन्मुक्त गगन में स्वच्छंद होकर उड़ान भरना चाहते हैं।
टिप्पणी
‘हम पंछी उन्मुक्त गगन’ के कविता ‘शिवमंगल सिंह सुमन’ द्वारा लिखी गई एक भावात्मक कविता है। इस कविता में उन्होंने पिंजरे में बंद पक्षियों के मन के भावों को कविता के माध्यम से व्यक्त किया है।
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फूल और कांटे के बीच में हुआ संवाद पैराग्राफ शैली में लिखिए।