खीर से भरा कटोरा इस तरह टूट गया जब रामू की पत्नी ने अलग-अलग तरह के मेवे डालकर दूध को देर रात तक औटाया और रामू के लिए खीर बनाई। फिर उसने खीर पर सोने का वर्क चिपकाकर खीर को एक कटोरे में डाल लिया और उसे ऊंचे ताक पर रख दिया ताकि खीर तक कबरी बिल्ली ना पहुंच सके।
रामू की पत्नी ने सोचा कि जब रामू आ जाएगा तो वह रामू के सामने खीर परोसेगी। खीर को ताक पर रखकर वह अपनी सास को पान देने के लिए चली गई। ऐसे में बिल्ली ने मौका देखकर छलांग लगाई और कटोरे को नीचे गिरा दिया।
जैसे ही कटोरा जमीन पर तेज आवाज के साथ नीचे गिरा सारी खीर बिखर गई और कटोरा भी गिरकर टूट गया। कटोरे की गिरने की आवाज सुनकर रामू की पत्नी ने जल्दी से अपनी सास को पान दिया और दौड़ी-दौड़ी कमरे में आई तो देखकर वह भौंचक्की रह गई।
उसने देखा कि कटोरा टुकड़े-टुकड़े होकर जमीन पर और पड़ा हुआ है और बिल्ली जमीन पर बिखरी खीर को बड़े मन से चाट रही है।
रामू की पत्नी को आता देखकर कबरी बिल्ली तुरंत वहां से भाग गई। रामू की पत्नी को बहुत गुस्सा आया लेकिन वह कुछ नहीं कर सकती थी। पूरे अफसोस में वह पूरी रात सो ना सकी।
संदर्भ कहानी
कहानी – प्रायश्चित, लेखक – भगवतीचरण वर्मा
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