यह बात बिल्कुल सही है कि मनुष्य को अपने कर्म पर अधिकार होना चाहिए। यहाँ अधिकार से तात्पर्य नियंत्रण से है। मनुष्य अपने कर्मों को अपने अनुसार नियंत्रित करना चाहिए।
मनुष्य के कर्मों के अनुसार ही उसे उसका फल प्राप्त होता है। यदि वह अच्छे कर्म करेगा तो उसे जीवन में अच्छा फल प्राप्त होगा। बुरे कर्म करने पर उसे उसका बुरा परिणाम भी भुगतना पड़ेगा। इसलिए मनुष्य को सोच समझकर कर्म करना चाहिए।
मनुष्य को अपने अच्छे कर्म और बुरे कर्म में भेद करना आना चाहिए ताकि वह अधिकारपूर्वक अच्छे कर्मों को चुन सके और उनका अच्छा फल प्राप्त कर सके। यदि मनुष्य का अपने कर्मों पर नियंत्रण नहीं होगा तो वह अच्छे और बुरे कर्मों में भेद नहीं कर पाएगा और बुरे कर्म भी करता रहेगा। इससे उसे बुरे परिणाम भी देखने पड़ सकते हैं। इसलिए एक आदर्श और सदाचारी जीवन के लिए आवश्यक है कि मनुष्य का अपने कर्मों पर अधिकार होना चाहिए।