“प्रकृति एवं मनुष्य एक-दूसरे के पूरक हैं” ये कथन बिल्कुल सत्या है। यह कथन प्रकृति और मानव के बीच के गहरे, परस्पर निर्भर संबंध को दर्शाता है।
- प्रकृति जीवन का आधार प्रदान करती है – हवा, पानी, भोजन। मनुष्य प्रकृति के संरक्षक के रूप में कार्य कर सकता है, पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
- प्रकृति प्राकृतिक संसाधन प्रदान करती है, जैसे खनिज, जंगल, जल स्रोत आदि। मनुष्य इन संसाधनों का उपयोग करता है और प्रौद्योगिकी के माध्यम से उन्हें विकसित करता है।
- प्रकृति कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन जैसी आर्थिक गतिविधियों का आधार है। मनुष्य इन गतिविधियों को वैज्ञानिक तरीकों से उन्नत बनाता है।
- प्रकृति कई सांस्कृतिक परंपराओं और मान्यताओं का स्रोत है। मनुष्य प्रकृति से प्रेरित होकर कला, साहित्य और संगीत का सृजन करता है।
- प्रकृति शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक वातावरण प्रदान करती है। मनुष्य प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों का विकास करता है।
- प्रकृति जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र प्रदान करती है। मनुष्य इन तंत्रों के संरक्षण और पुनर्स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- प्रकृति जलवायु को नियंत्रित करने में मदद करती है। मनुष्य वनीकरण और पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से इस प्रक्रिया में योगदान दे सकता है।
- प्रकृति आध्यात्मिक अनुभूतियों का स्रोत है। मनुष्य प्रकृति के साथ तादात्म्य स्थापित कर आंतरिक शांति प्राप्त करता है।
- प्रकृति ज्ञान का अक्षय स्रोत है। मनुष्य प्रकृति का अध्ययन कर नए वैज्ञानिक सिद्धांतों और प्रौद्योगिकियों का विकास करता है।
- प्रकृति सौंदर्य और प्रेरणा का स्रोत है। मनुष्य प्राकृतिक सौंदर्य को संरक्षित करने और उसे बढ़ाने में मदद करता है।
प्रकृति और मनुष्य के बीच का संबंध एक नाजुक संतुलन पर आधारित है। जब मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहता है, तो दोनों फलते-फूलते हैं। हालांकि, जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो दोनों को नुकसान होता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि मनुष्य प्रकृति के साथ सम्मान और समझ के साथ व्यवहार करे, ताकि यह पूरक संबंध बना रहे और दोनों का सतत विकास हो सके।
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