वाणी के अनुशासन से क्या अभिप्राय है?

वाणी के अनुशासन से तात्पर्य यह है कि हमें अपने वाणी पर नियंत्रण लगना चाहिए। हम जो भी बोलें सोच-समझ कर रखें। हमें अपने वाणी में मधुरता रखनी चाहिए और किसी से भी कटु वचन नहीं बोलनी चाहिए। यदि हमारा अपनी वाणी पर नियंत्रण रहेगा और यदि हम अपनी वाणी में अनुशासन बनाए रखेंगे तो हमारे मुँह से कोई भी गलत बात नहीं निकलेगी।

अक्सर ऐसा होता है कि भावावेश में आकर या अपनी वाणी पर नियंत्रण होकर हम किसी साम्मानीय व्यक्ति से या किसी भी मित्र, संबंधी आदि से गलत वचन बोल देते हैं, जिससे उसके मन को दुख पहुंचता है। भले ही बाद में हमें अपनी उस वाणी के लिए पछताना पड़ता हो।

जुबान से निकला वाणी रूपी तीर वापस लौटकर नहीं आता। हमारी गलत वाणी से हमारे संबंधों पर भी गलत प्रभाव पड़ सकता है। गलत वाणी का प्रयोग करने पर हमारे अपने मित्र संबंधियों से आपसी संबंध बिगड़ सकते हैं या किसी से गलत वाणी से बात करने से विवाद भी उत्पन्न हो सकता है।

जिन लोगों की वाणी कठोर होती है उन व्यक्ति से इस व्यक्ति से कोई भी बात करना पसंद नहीं करता इसीलिए जिन लोगों की बड़ी मधुर होती है उसे और कोई बात करना पसंद करता है इसीलिए वाणी के अनुशासन से तात्पर्य यही है कि हमें अपनी वाणी में सदैव मधुरता लानी चाहिए और अपनी वाणी पर नियंत्रण स्थापित करना चाहिए हमें हर शम भक्त प्रयास करना चाहिए कि हम जो भी बोले हैं सोच समझ कर बोले ताकि किसी के मन को कोई ठेस न पहुंचे


Other answers

योगासन के कोई पाँच नियम लिखिए।

Other answer

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Answers