प्लास्टिक के दुष्परिणाम (लेख)
आज के युग में प्लास्टिक हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। लेकिन इसके बढ़ते उपयोग से पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। आइए इसके कुछ प्रमुख दुष्परिणामों पर नज़र डालें:
1. पर्यावरण प्रदूषण : प्लास्टिक अविघटनशील होता है और सैकड़ों वर्षों तक प्रकृति में बना रहता है। इससे भूमि, जल और वायु प्रदूषण बढ़ता है।
2. जीव-जंतुओं पर प्रभाव : समुद्री जीवों और पक्षियों द्वारा प्लास्टिक के टुकड़े खा लेने से उनकी मृत्यु हो जाती है। कई जानवर प्लास्टिक में फंस कर घायल हो जाते हैं।
3. मानव स्वास्थ्य पर असर : प्लास्टिक से निकलने वाले हानिकारक रसायन भोजन और पानी में मिलकर कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
4. जल निकासी की समस्या : प्लास्टिक कचरा नालियों को बंद कर देता है, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
5. आर्थिक नुकसान : प्लास्टिक प्रदूषण से पर्यटन उद्योग प्रभावित होता है और सफाई पर भारी खर्च आता है।
इन समस्याओं से निपटने के लिए हमें प्लास्टिक के उपयोग को कम करना होगा। पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना होगा। साथ ही, जैव-विघटनशील विकल्पों को अपनाना होगा। सरकार, उद्योग और नागरिकों को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा। केवल तभी हम एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित कर सकेंगे।
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“प्रकृति एवं मनुष्य एक-दूसरे के पूरक हैं”- इस कथन को स्पष्ट करें।