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निम्नलिखित शब्दों के साथ उचित प्रत्यय लगाकर लिखिए। 1. अमर 2. परोपकार 3. बंधु 4. उदार 5. ईर्ष्या

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दिए शब्दों का साथ उचित प्रत्यय लगाकर शब्द इस प्रकार होंगे…

1. अमर : अमरता
प्रत्यय : ता

2. परोपकार : परोपकारी
प्रत्यय : ई

3. बंधु : बंधुता
प्रत्यय : ता

4. उदार : उदारता
प्रत्यय : ता

5. ईर्ष्या : ईर्ष्यालु
प्रत्यय : लु

 


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इन उर्दू शब्दों के हिंदी रूप लिखिए। 1. खयाल 2. शर्म 3. परवाह 4. इल्जाम 5. जख्मी 6. उस्ताद।

इन उर्दू शब्दों के हिंदी रूप लिखिए। 1. खयाल 2. शर्म 3. परवाह 4. इल्जाम 5. जख्मी 6. उस्ताद।

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दिए गए उर्दू शब्दों के हिंदी रूप इस प्रकार हैं…

ख्याल : सोच/विचार

शर्म : लाज/लज्जा

परवाह : चिंता/

इल्ज़ाम : आरोप/आक्षेप

जख्मी : घायल/हताहत

उस्ताद : गुरु/शि8क


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दिए गए शब्दों के 3-3 शब्द बनाइए। 1. दीन 2. यश 3. साहस 4. भला।

नोयडा वाले मित्र को पहुँचने में देर हो गई थी। इस वाक्य को मिश्र वाक्य बदलिए।

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इस वाक्य का मिश्र वाक्य में परिवर्तन इस प्रकार होगा…

मूल वाक्य : नोएडा वाले मित्र को पहुंचने में देर हो गई थी।
मिश्र वाक्य : जब मित्र नोएडा पहुंचा तब बहुत देर हो गई थी।

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स्पष्टीकरण

प्रश्न में जो मूल्य वाक्य दिया गया है, वह एक सरल वाक्य है। सरल वाक्य में केवल एक एकल स्वतंत्र वाक्य होता है, जिसका एक उद्देश्य एवं एक विधेय होता है। इस वाक्य को मिश्र वाक्य में बदलने के लिए इसे दो अलग-अलग स्वतंत्र उपवाक्यों में विभाजित किया गया है।

मिश्र वाक्य में एक प्रधान वाक्य होता है और दूसरा उसका आश्रित उपवाक्य।

सरल वाक्य, संयुक्त वाक्य और मिश्र वाक्य रचना के आधार पर वाक्य की अलग-अलग संरचनाएँ हैं।


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‘जब वर्षा होगी तब अच्छी फसल होगी’ इस वाक्य को सरल वाक्य में बदलें।

‘तरुण’ शब्द का भाववाचक संज्ञा रूप है (a) तरुणय (b) तारुण्य (c) तरूणी (d) तरणि

दिए गए शब्दों के 3-3 शब्द बनाइए। 1. दीन 2. यश 3. साहस 4. भला।

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दिए गए शब्दों के 3-3 नए शब्द इस प्रकार होंगे…

दीन

  • दीनहीन
  • दीनदयाल
  • दीनबंधु

2. यश

  • यशस्वी
  • यशोदा
  • यशोगान

3. साहस

  • साहसी
  • साहसिक
  • साहसपूर्ण

4. भला

  • भलाई
  • भलामानस
  • भलाचंगा
शब्दों की व्याख्या :

दीनहीन हैं का अर्थ है, कमजोर, निर्बल व्यक्ति।
दीनदयाल का अर्थ है निर्बलों पर दया करने वाला।
दीनबंधु का अर्थ है जो असहाय, निर्बलों का सहायक हो।

यशस्वी का अर्थ है जिसने संसार में यश अर्जित किया हो।
यशोदा का अर्थ है जो यश के गुण से भरपूर हो।
यशोगान का अर्थ है किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के यश का गुणगान करना।

साहसी का अर्थ है वह व्यक्ति जो साहस का कार्य करता हो।
साहसिक का अर्थ है वह व्यक्ति जिसे कोई साहस से भरा कार्य किया हो।
साहसपूर्ण का अर्थ है साहस से भरा कार्य करना।

भलाई का अर्थ है वह व्यक्ति जिसने किसी के साथ अच्छा कार्य किया हो।
भलामानस भलाई करने वाले व्यक्ति को कहते हैं।
भलाचंगा उस व्यक्ति को कहते हैं जो शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हो।


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‘जब वर्षा होगी तब अच्छी फसल होगी’ इस वाक्य को सरल वाक्य में बदलें।

‘तरुण’ शब्द का भाववाचक संज्ञा रूप है (a) तरुणय (b) तारुण्य (c) तरूणी (d) तरणि

‘जब वर्षा होगी तब अच्छी फसल होगी’ इस वाक्य को सरल वाक्य में बदलें।

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‘जब वर्षा होगी तब अच्छी फसल होगी।’ इस वाक्य का सरल वाक्य में रूपांतरण इस प्रकार होगा…

मूल वाक्य : जब वर्षा होगी तब अच्छी फसल होगी।
सरल वाक्य : वर्षा होने पर अच्छी फसल होगी।

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स्पष्टीकरण 

जो मूल वाक्य दिया गया है, वह एक मिश्र वाक्य है क्योंकि इसमें एक प्रधान वाक्य होने के साथ-साथ एक आश्रित उपवक भी है। जब इसका सरल वाक्य में रूपांतरण करेंगे तो केवल एक ही एकल प्रधान वाक्य होगा।

सरल वाक्य में केवल एक एकल प्रधान वाक्य होता है सरल वाक्य में बदलने के लिए दोनों वाक्यों को जोड़कर एक एकल सरल वाक्य में बदल दिया जाता है, जिसका एक उद्देश्य पर एक विधेय होता है। सरल वाक्य, संयुक्त वाक्य और मिश्र रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं।


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‘तरुण’ शब्द का भाववाचक संज्ञा रूप है (a) तरुणय (b) तारुण्य (c) तरूणी (d) तरणि

‘तरुण’ शब्द का भाववाचक संज्ञा रूप है (a) तरुणय (b) तारुण्य (c) तरूणी (d) तरणि

सही उत्तर है…

(b) तारुण्य

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स्पष्टीकरण

‘तरुण’ शब्द की भाववाचक संज्ञा ‘तारुण्य’ होगी।

तारुण्य’ का अर्थ होता है, यौवन, जवानी, युवावस्था आदि। तारुण्य अवस्था वह अवस्था होती है, जो बाल्यावस्था (बचपन) और पूर्ण युवावस्था से पहले की अवस्था होती है। इस अवस्था का कालखंड प्राय 13 वर्ष की आयु से 19 वर्ष की आयु के बीच का होता है। अंग्रेजी में इस अवस्था को ‘टीनएज’ कहते हैं।

तरुण शब्द की भाववाचक संज्ञा ‘तारुण्य’ संज्ञा है, इसीलिए विकल्प (b) तारुण्य सही उत्तर होगा।

तरुणय शब्द गलत विकल्प है।

तरुणी तरुण शब्द का ही स्त्रीलिंग है। तरुण और तरुणी दोनों विशेषण हैं, जिनकी भाववाचक संज्ञा तारुण्य होगी।

तरणी भी गलत उत्तर है।


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इस ऊँची और विशाल इमारत को देखा। इस वाक्य में से विशेषण पद छाँटकर लिखिए।

 निम्नलिखित शब्दों के समान लय वाले शब्द लिखिए- (क) कुसंग (ख) गोय (ग) अंग (घ) जाहिं 

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उपरोक्त शब्दों के समान लय वाले शब्द इस प्रकार होंंगे…

(क) कुसंग – सुसंग

(ख) गोय – होय

(ग) अंग – भंग

(घ) जाहिं – ताहिं

 

स्पष्टीकरण :

सामान लय वाले शब्द वे शब्द होते हैं, जिनके अंतिम दो वर्ण या अंतिम वर्ण समान होता है, इससे इन शब्दों का उच्चारण करने से दोनों शब्द सामान लय वाले प्रतीत होते हैं। ऐसे शब्द अक्सर युगल शब्दों के रूप में एक दूसरे के साथ भी प्रयोग किया जा सकते हैं। मुहावरों, कविता, चौपाइयों आदि में तुकबंदी के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है।


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इन शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए- घृणा, गद्दों, शक्ति, निर्धन, मुट्ठी, श्मशान।

‘रमि रहे’ का अर्थ क्या है? (a) घूमते रहे (b) प्रसन्नतापूर्वक रह रहे (c) दुख से रहे (d) चिंतित रह रहे

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सही उत्तर है…

(b) प्रसन्नतापूर्वक रह रहे

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व्याख्या :

दी गई पंक्तियों में ‘रमि रहे’ सही अर्थ होगा ‘प्रसन्नतापूर्वक रह रहे’।

ये पंक्तियां रहीमे के दोहे से ली गई हैं। रहीम अपने दोहे में ये बात स्पष्ट रूप से कह रहें है कि श्रीराम जब तक चित्रकूट मे रहे वह बेहद प्रसन्नतापूर्वक रहे।

रहीम का पूरा दोहा इस प्रकार है…

चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध नरेस।
जा पर बिपदा परत है, सो आवत यह देश।।

अर्थात रहीम कहते हैं श्री राम 14 वर्ष के वनवास मिलने के बाद चित्रकूट में आकर रह रहे थे। वह जब तक वहां पर रहे तो तो बहुत प्रसन्नता पूर्वक रहे। उन्हें वहाँ पर किसी भी तरह की दुःख-चिंता नहीं थी। यह स्थान इतना अदभुत है कि जिस किसी पर संकट की घड़ी आती है, विपत्ति आती है तो वह शांति पाने के लिए इस स्थान की ओर खिंचा चला आता है। लोगों को दुख की घड़ी में इस स्थान की याद हमेशा याद आती है।

यहां पर इस दोहे में रहीम ने स्पष्ट कर दिया है कि श्री राम चित्रकूट में आकर ‘रमि रहे’ अर्थात ‘प्रसन्नतापूर्वक रह रहे थे।’


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रहीम ने पशु और मनुष्य में से किसे श्रेष्ठ गाना है? a) मनुष्य को b) पशु को c) ना मनुष्य को ना पशु को d) दोनों को ही

‘प्लास्टिक के दुष्परिणाम’ इस विषय पर एक लेख लिखिए।

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प्लास्टिक के दुष्परिणाम (लेख)

 

आज के युग में प्लास्टिक हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। लेकिन इसके बढ़ते उपयोग से पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। आइए इसके कुछ प्रमुख दुष्परिणामों पर नज़र डालें:

1. पर्यावरण प्रदूषण : प्लास्टिक अविघटनशील होता है और सैकड़ों वर्षों तक प्रकृति में बना रहता है। इससे भूमि, जल और वायु प्रदूषण बढ़ता है।

2. जीव-जंतुओं पर प्रभाव : समुद्री जीवों और पक्षियों द्वारा प्लास्टिक के टुकड़े खा लेने से उनकी मृत्यु हो जाती है। कई जानवर प्लास्टिक में फंस कर घायल हो जाते हैं।

3. मानव स्वास्थ्य पर असर : प्लास्टिक से निकलने वाले हानिकारक रसायन भोजन और पानी में मिलकर कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

4. जल निकासी की समस्या : प्लास्टिक कचरा नालियों को बंद कर देता है, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

5. आर्थिक नुकसान : प्लास्टिक प्रदूषण से पर्यटन उद्योग प्रभावित होता है और सफाई पर भारी खर्च आता है।

इन समस्याओं से निपटने के लिए हमें प्लास्टिक के उपयोग को कम करना होगा। पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना होगा। साथ ही, जैव-विघटनशील विकल्पों को अपनाना होगा। सरकार, उद्योग और नागरिकों को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा। केवल तभी हम एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित कर सकेंगे।


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“प्रकृति एवं मनुष्य एक-दूसरे के पूरक हैं”- इस कथन को स्पष्ट करें।

‘दुःख का अधिकार’ कहानी से स्पष्ट होता है कि पैसे की कमी और अभाव के कारण आदमी को दुःख मनाने का अवसर भी नहीं होता। स्पष्ट करें। (कहानी – दुःख का अधिकार)

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‘दुःख का अधिकार’ कहानी से स्पष्ट होता है कि पैसे की कमी और अभाव आदमी को दुःख मनाने का अवसर भी नहीं देने देते। जिस प्रकार बुढ़िया एक गरीब महिला थी और वह पैसे की कमी तथा अभावों से ग्रस्त थी, इसी कारण उसके आसपास के समाज के लोग उसके जवान बेटे की मृत्यु के बाद उसके दुःख में संवेदना जताने की जगह खरबूजे बेचने पर उसके प्रति तानाकशी करने लगे।  यदि तृद्धा कोई अमीर संपन्न महिला होती तो सभी लोग उसके बेटे की मृत्यु के बाद उसके दुःख में शामिल होने उसके घर आते, लेकिन वृद्धा के साथ ऐसा नहीं हुआ क्योंकि वह एक गरीब महिला थी।

लेखक ने इस पाठ में एक उदाहरण भी दिया है कि कैसे एक सेठ के जवान बेटे की मृत्यु हो गई और सेठानी बीमार पड़ गई तो सेठ के घर पर जवान बेटे की मृत्यु के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती थी। ऐसी ही घटना के साथ भी हुई लेकिन वह एक गरीब महिला थी इसी कारण कोई उसके प्रति संवेदना और दुख प्रकट नहीं कर रहा था।

इन सभी बातों से स्पष्ट है कि लोग केवल सामाजिक हैसियत देखकर ही अपने प्रतिक्रिया करते हैं। गरीब लोगों के दुःख में कोई शामिल नहीं होना चाहता जबकि अमीरों का छोटा सा छोटा दुःख भी सभी को बड़ा लगता है और वह उसके प्रति संवेदना प्रकट करने के लिए तत्पर रहते हैं।

यह हमारे समाज की विडंबना है और लोगों की यही दोहरे मापदंड वाली सोच सामाजिक समानता के ताने-बाने पर चोट पहुँचाती है।

 

टिप्पणी

‘दुःख का अधिकार’ कहानी ‘यशपाल’ द्वारा लिखी गई एक ऐसी कहानी है, जो समाज के लोगों द्वारा अमीरों और गरीबों के दुःख के प्रति लोगों के दोहरे मापदंड को उजागर करती है।


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वृद्धा का बाजार में खरबूजे बेचने के कारण वहाँ खड़े लोगों को वृद्धा बेहया क्यों लगी? (पाठ – दुख का अधिकार)