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‘तस्मादेव’ का संधि-विच्छेद कीजिए।

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‘तस्मादेव’ का संधि विच्छेद इस प्रकार होगा…

तस्मादेव : तस्माद् + एव
संधि भेद : वृद्धि संधि

स्पष्टीकरण

इस शब्द में वृद्धि संधि है। वृद्धि संधि स्वर संधि का एक उपभेद है
स्वर संधि के उपभेद वृद्धि संधि के नियम के अनुसार जब प्रथम वर्म के ‘अ’ और अंतिम वर्ण ‘ए’ का मेल होता है तो ‘ए’ बनता है।
दिए गए शब्द ‘तस्मादेव’ में तस्माद् के ‘अ’ और एव के ‘ए’ का मेल होने से ‘ए’ संयोजन उत्पन्न हो रहा है।
स्वर संधि के पांच उपभेद होते हैं

  • दीर्घ संधि
  • गुण संधि
  • वृद्धि संधि
  • यण संधि
  • अयादि संधि

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‘अत्युत्तम’ शब्द में उपसर्ग व मूल शब्द अलग-अलग कीजिए।

मोहन ने पेट में ऐसे-ऐसे का बहाना बनाया था यदि आप मोहन के स्थान पर होते तो क्या बहाना बनाते हो?

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मोहन ने पेट में ऐसे-ऐसे का बहाना बनाया क्योंकि उसे स्कूल नहीं जाना था तो उसने पेट दर्द का बहाना बनाया। लेकिन वह पेट दर्द को कोई नाम नहीं दे सका और ऐसे ऐसे कहता रहा।

मेरे जीवन में भी अक्सर कई बार बचपन में ऐसे मौके आए जब मुझे स्कूल नहीं जाने का मन करता था तो हम भी पेट दर्द का बहाना बना देते थे। मैंने कई बार सीधे तौर पर अपनी माँ को पेट में दर्द हो रहा है, कहकर स्कूल न जाने का बहाना बनाया था।

कभी-कभी मैं सर में दर्द होने का बहाना बनाती तो कभी-कभी दांत में दर्द होने का बहाना बनाती। कभी मैंने यह बहाना बनाया कि मुझे बुखार आ रहा है तो माँ तुरंत थर्मामीटर लेकर चेक करती थी और फिर बोलती कि बुखार तो नहीं लग रहा है तो मेरी बहाने की चोरी पकड़ी जाती थी।

माँ समझ जाती थी कि यह स्कूल न जाने के लिए बहाना बना रही है। अक्सर कई बहाने काम कर जाते थे और माँ मेरे बहानों के बहकावे में आ जाती थी और मैं स्कूल जाने से बच जाता थी। लेकिन कई बार बहाना बनाने की बात माँ को पता चल जाती थी और फिर स्कूल जाना पड़ता था। डांट भी खानी पड़ती थी और स्कूल भी जाना पड़ता था।


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सोसायटी को स्वच्छ रखने हेतु एक सूचना लिखिए।

‘अत्युत्तम’ शब्द में उपसर्ग व मूल शब्द अलग-अलग कीजिए।

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‘अत्युत्तम’ में उपसर्ग और मूल शब्द इस प्रकार होगा…
अत्युत्तम : अति + उत्तम
उपसर्ग : अति
मूल शब्द : उत्तम

स्पष्टीकरण :

उपसर्ग वह शब्दांश होते हैं, जो किसी शब्द के प्रारंभ में लगकर एक विशेषण का कार्य करते हैं। उपसर्ग पूर्ण रूप से स्वतंत्र विशेषण नही होते हैं, क्योंकि उनका स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता है। जबकि विशेषण शब्दों का अपना स्वतंत्र अस्तित्व और अर्थ होता है।

उपसर्ग किसी शब्द के आरंभ में लगकर उसको विशेषता प्रदान करने के साथ उसके अर्थ में भी निखार लाते हैं।


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निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्द चुनिए- अंगरखा, अपेटिस, मद, ग्रेजुएट, लुटिया, मुल्क, किवाड़, संध्या, पहिया, बूढ़ा नप, साँझ, जख्म, हुक्का, वाटिका, खटिया।

जो माता पिता की सेवा करता है वह हमेशा सुखी रहता है। इस वाक्य को सरल वाक्य में बदलिए।

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दिया गया वाक्य एक मिश्र वाक्य है, इस वाक्य का सरल वाक्य में रूपांतरण इस प्रकार होगा…

मूल वाक्य : जो माता पिता की सेवा करता है वह हमेशा सुखी रहता है।
सरल वाक्य : माता-पिता की सेवा करने वाला हमेशा सुखी रहता है।

स्पष्टीकरण :

प्रश्न में जो वाक्य दिया गया है, वह एक मिश्र वाक्य है क्योंकि इसमें दो उपवाक्यों का मिश्रण है। सरल वाक्य वह वाक्य होता है, जिसमें एकल एवं स्वतंत्र वाक्य होता है। उस वाक्य का एक उद्देश्य एवं एक विधेय होता है।

मिश्र वाक्य को सरल वाक्य में रूपांतरित करने के लिए हमें एक उद्देश्य और एक विधेय बनाना पड़ता है। मिश्र वाक्य के दोनों उपवाक्यों के उद्देश्य एवं विधेय को एक उद्देश्य एवं एक विधेय में परिवर्तित करके सरल वाक्य का निर्माण किया जा सकता है।

सरल वाक्य रचना के आधार पर वाक्य भेद में से एक भेद है। रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं…

  • सरल वाक्य
  • संयुक्त वाक्य
  • मिश्र वाक्य

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निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्द चुनिए- अंगरखा, अपेटिस, मद, ग्रेजुएट, लुटिया, मुल्क, किवाड़, संध्या, पहिया, बूढ़ा नप, साँझ, जख्म, हुक्का, वाटिका, खटिया।

निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्द चुनिए- अंगरखा, अपेटिस, मद, ग्रेजुएट, लुटिया, मुल्क, किवाड़, संध्या, पहिया, बूढ़ा नप, साँझ, जख्म, हुक्का, वाटिका, खटिया।

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दिए गए शब्दों में से तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशज शब्द इस प्रकार है..

तत्सम शब्द : मद, वाटिका, संध्या
तद्भव शब्द : हुक्का, पहिया, साँझ, नप, बूढ़ा, अंगरखा
देशज शब्द :  लुटिया, खटिया,
विदेशज शब्द : अपेटिस, ग्रेजुएट, किवाड़, जख्म, मुल्क

स्पष्टीकरण :

तत्सम शब्द में शब्द होते हैं जो हिंदी भाषा में सीधे तौर पर संस्कृत भाषा से ग्रहण किए जाते हैं।
तद्भव शब्द वे शब्द होते हैं जो संस्कृत भाषा से हिंदी भाषा में ग्रहण तो किए गए हैं लेकिन उनका स्वरूप परिवर्तित हो चुका है।
देशज शब्द वे शब्द होते हैं जो हिंदी के अलग-अलग आंचलिक क्षेत्र में बोले जाते हैं।
विदेशज शब्द वे शब्द हैं जो हिंदी भाषा में अंग्रेजी, फारसी, अरबी, पुर्तगाली तथा अन्य विदेशी भाषाओं से ग्रहण किए गए हैं।


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निम्नलिखित समस्त पदों का समास विग्रह कीजिए- (क) वनवास (ख) यथावसर (ग) आजीवन (घ) चतुर्भज (च) धनश्याम (छ) दाल-भात (ज) रसोईघर (झ) चौराहा (ञ) आनंदमग्न

इस ऊँची और विशाल इमारत को देखा। इस वाक्य में से विशेषण पद छाँटकर लिखिए।

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इस ऊँची और विशाल इमारत को देखा। इस वाक्य में विशेषण पद इस प्रकार होगा…

वाक्य : इस ऊँची और विशाल इमारत को देखा।
विशेषण पद : ऊँची और विशाल
विशेष्य पद : ईमारत

स्पष्टीकरण :

इस पूरे वाक्य में ‘ऊंची और विशाल’ यह दोनों पद विशेषण पद का कार्य कर रहे हैं, जो इमारत की ऊंचाई और उसके आकार की विशेषता को प्रकट कर रहे हैं।

विशेषण पद वह होते हैं, जो किसी संज्ञा पद की विशेषता को प्रकट करते हैं। वह संज्ञा पद उस विशेषण का विशेष्य कहलाता है।

यहां पर ‘इमारत’ एक जातिवाचक संज्ञा पद है जो ऊंची एवं और विशाल इस विशेषण पदों के विशेष्य का कार्य कर रहा है


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सोसायटी को स्वच्छ रखने हेतु एक सूचना लिखिए।

सोसायटी को स्वच्छ रखने हेतु एक सूचना लिखिए।

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सोसायटी को स्वच्छ रखने हेतु सूचना लेखन

आदर्श सोसाइटी के सभी निवासियों को सूचित किया जाता है कि अपनी आदर्श सोसाइटी को एक आदर्श और स्वच्छ सोसाइटी बनाने में अपना पूर्ण योगदान दें। ऱसोसाइटी में कहीं पर भी कूड़ा करकट इधर-उधर ना फेकें। सोसायटी के नियमों का पालन करें। सोसाइटी के मेनगेट के पास बने कूड़ादान में ही कूड़ा डालें।

यह आपकी अपनी सोसाइटी है। इसे स्वच्छ रखना हम सभी का कर्तव्य है। सोसायटी की नियमित साफ सफाई रखने में अपनी स्वयंसेवा देते हुए योगदान दें ताकि हमारा पूरा सोसायटी परिसर साप एवं स्वच्छ रहे और हम भारत के स्वच्छता अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।

धन्यवाद,
अनुरोध से,
निरंजन कुमार,
सचिव,
आदर्श सोसायटी,
रामनगर कॉलोनी, मेरठ


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निम्नलिखित समस्त पदों का समास विग्रह कीजिए- (क) वनवास (ख) यथावसर (ग) आजीवन (घ) चतुर्भज (च) धनश्याम (छ) दाल-भात (ज) रसोईघर (झ) चौराहा (ञ) आनंदमग्न

निम्नलिखित समस्त पदों का समास विग्रह कीजिए- (क) वनवास (ख) यथावसर (ग) आजीवन (घ) चतुर्भज (च) धनश्याम (छ) दाल-भात (ज) रसोईघर (झ) चौराहा (ञ) आनंदमग्न

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निम्नलिखित समस्त पदों का समास विग्रह इस प्रकार होगा…

(क) वनवास : वन में वास (अधिकरण तत्पुरुष)
समास भेद : तत्पुरुष समास

(ख) यथावसर : अवसर के अनुसार
समास भेद : अव्ययीभाव समास

(ग) आजीवन : पूरे जीवन भर
समास भेद : अव्ययीभाव समास

(घ) चतुर्भज : चार भुजाओं का समाहार
समास भेद : द्विगु समास

(च) धनश्याम : श्याम है जो घन अर्थात श्रीकृष्ण
समास भेद : बहुव्रीहि समास

(छ) दाल-भात : दाल और भात
समास भेद : द्वंद्व समास

(ज) रसोईघर : रसोई का घर
समास भेद : तत्पुरुष समास

(झ) चौराहा : चार राहों का समास
समास भेद : द्विगु समास

(ञ) आनंदमग्न : आनंद में मग्न
समास भेद : तत्पुरुष समास (अधिकरण तत्पुरुष)


Other answers…

सोसायटी को स्वच्छ रखने हेतु एक सूचना लिखिए।