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नमक सत्याग्रह आंदोलन क्या था? भारत कि आज़ादी में इस आंदोलन की क्या भूमिका थी?

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नमक सत्याग्रह आंदोलन, जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

  • इस आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी द्वारा 1930 में की गई थी।
  • इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के नमक कानून का विरोध करना, जो भारतीयों को नमक बनाने और बेचने से रोकता था। गांधी जी ने अहिंसक तरीके से ब्रिटिश शासन के इस काले कानून का विरोध करने निश्चय किया था।
  • आंदोलन शुरु करते ही गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी तक 388 किलोमीटर की पदयात्रा की और 6 अप्रैल को दांडी पहुंचकर उन्होंने समुद्र के किनारे से नमक बनाकर कानून तोड़ा।
  • इस आंदोलन का काफी व्यापक प्रभाव पड़ा और यह आंदोलन जल्द ही पूरे देश में फैल गया। लाखों भारतीयों ने नमक कानून तोड़कर सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया।

भारत की आज़ादी के संग्राम में इस आंदोलन की भूमिका

  • इस आंदोलन ने देश भर के लोगों को एक साथ ला दिया और लोग ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुट होने लगे। यह आंदोलन विश्व समुदाय का ध्यान भारत के स्वतंत्रता संग्राम की ओर खींचने में सफल रहा।
  • इस आंदोलन ने आम लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया। इसका परिणाम ये हुआ कि यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया।
  • इस आंदोलन ने गांधी जी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख नेता बना दिया। यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक मील का पत्थर साबित हुआ इसके माध्यम से अहिंसक प्रतिरोध की शक्ति का महत्व पता चला।
  • यह आंदोलन भारत में आगे होने वाले अनेक स्वतंत्रता आंदोलनों के लिए एक आदर्श बन गया।
  • नमक सत्याग्रह आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और इसे जन आंदोलन में बदल दिया। इसने ब्रिटिश शासन की वैधता पर सवाल उठाया और भारतीयों में आत्मविश्वास पैदा किया कि वे अपने दम पर स्वतंत्रता हासिल कर सकते हैं।

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योगासन के कोई पाँच नियम लिखिए।

ग्राहकों को अपनी अधिकारों के प्रति जागरुक होना चाहिए| “बस की यात्रा “पाठ के आधार पर लिखिए|

योगासन के कोई पाँच नियम लिखिए।

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योगासन शरीर को साधने का एक व्यायाम है। यह न केवल हमारे शरीर को बाहरी रूप से स्वस्थ रखता है बल्कि यह हमारे शरीर को आंतरिक रूप से भी स्वस्थ रखता है। योगासन करने के अनेक नियम होते हैं, उनमें पाँच महत्वपूर्ण नियम इस प्रकार हैं।

  • यथासंभव योगासन हमेशा सुबह के समय खुले स्थान और समतल स्थान पर पर करना चाहिए, जहाँ पर स्वच्छ ताजी हवा तथा प्रकाश हो।
  • योगासन करने से पहले स्नान आदि करके स्वच्छ हो लेना चाहिए और मन को भी एकदम एकाग्र कर लेना चाहिए।
  • योगासन करने के लिए उचित आसन जैसे चटाई, दरी आदि का प्रबंध कर लेना चाहिए।
  • योगासन करते समय हमेशा ढीले और सूती कपड़े पहनकर ही योगासन लगाना चाहिए।
  • योगासन करने की प्रक्रिया बेहद धीमी होती है इसे करते समय कोई भी जल्दबाजी नहीं करना चाहिए।
  • जिस आसान को कर रहे हैं, उस आसान को करते समय केवल उसी पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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इस ऊँची और विशाल इमारत को देखा। इस वाक्य में से विशेषण पद छाँटकर लिखिए।

मनुष्य को अपने कर्म पर अधिकार होना चाहिए। इस विषय पर अनुच्छेद लिखें।

ग्राहकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए| “बस की यात्रा” पाठ के आधार पर लिखिए।

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‘हरिशंकर परसाई’ द्वारा लिखित ‘बस की यात्रा’ नामक पाठ के आधार पर कहें तो ग्राहकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए। जब ग्राहक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहेंगे तो जब भी वह कोई वस्तु खरीदेंगे या किसी भी तरह की सेवा लेंगे तो उस वस्तु अथवा सेवा में होने वाली कमी को पहचान पाएंगे और संबंधित विक्रेता अथवा सेवा प्रदाता से संबंध में अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।

जब ग्राहक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहेंगे तो उनके पैसे का अपव्यय होने से बचेगा क्योंकि वह कोई भी खरीदारी करते समय सचेत रहेंगे। इन सब बातों का यह फायदा होगा कि उत्पादक उपभोक्ता का गलत दुरुपयोग नहीं कर सकेंगे। वह अपने उत्पादों की गुणवत्ता को सुधारने की कोशिश करेंगे, जिससे ग्राहक को भी गुणवत्ता युक्त वस्तुएं और सेवा मिलेगी।इसमें सभी का हित होगा और बाजार से निम्न गुणवत्ता वाली वस्तुओं की आवक कम होगी।’बस की यात्रा’ पाठ में भी लेखक हरिशंकर परसाई ने व्यंग्यात्मकत्मक दृष्टि से अपनी बस यात्रा का वर्णन किया है। यहाँ पर उन्होंने बस की यात्रा करते समय बस की स्थिति को देखते हुए भी उस बस में सफर किया। इसी कारण उन्हें रास्ते में अनेक परेशानी उठानी पड़ी यदि वह भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होते और देखभाल कर सही बस में बैठते तो वह उन्हें परेशानी नहीं उठानी पड़ती।

इसलिए ग्राहकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए, ये उपभोक्ता और उत्पादक दोनों के हित में होता है।


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भारत में अलग-अलग राज्यों में अब तक कुल कितनी महिला मुख्यमंत्री बन चुकी हैं? भारत में किसी भी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री कौन थीं?

कुछ लोग खुले प्राकृतिक वातावरण में काम करते हैं, तो कुछ वातानुकूलित कार्यालयों में। आप अपने भावी जीवन में कहाँ काम करना पसंद करेंगे? कारण सहित बताइए।

भारत में अलग-अलग राज्यों में अब तक कुल कितनी महिला मुख्यमंत्री बन चुकी हैं? भारत में किसी भी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री कौन थीं?

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भारत में अब तक अलग-अलग राज्यों में कुल 17 महिला मुख्यमंत्री बन चुकी हैं।

भारत के किसी भी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री होने श्रेय सुचेता कृपलानी को जाता है, जो भारत के किसी भी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।

सुचेता कृपलानी

भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी थीं, जो भारत के किसी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। वह कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करती थी और उत्तर प्रदेश के अलावा भारत के किसी भी राज्य में पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। वह 1963 से 1966 के बीच लगभग तीन साल तक मुख्यमंत्री के पद पर बनी रही।

नंदिनी सत्पथी

भारत की दूसरी महिला मुख्यमंत्री नंदिनी सत्पथी थीं, जो 1972 में 41 साल की उम्र में उड़ीसा राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री और भारत के किसी राज्य की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं। वह 4 साल तक मुख्यमंत्री की पद पर बनीं। वह भी कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करती थीं।

शशिकला काकोडकर

शशि कला काकोडकर सन 1972 में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी की तरफ से 1973 में 35 साल की उम्र में गोवा राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। वह दो बार महिला मुख्यमंत्री के पद पर रहीं। 1977 में मैं दूसरी बार गोवा की मुख्यमंत्री बनीं।

अनवरा तैमूर

अनवरा तैमूर 1980 से में 44 साल की उम्र में असम की महिला मुख्यमंत्री बनी। उन्होंने 6 महीने तक इस पद का कार्यभार संभाला। वह कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करती थीं।

वीएन जानकी

वीएन और जानकी तमिलनाडु राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। वह वह एआईडीएमके पार्टी की तरफ से तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी। उन्होंने 65 साल की उम्र में सन 1987 में मुख्यमंत्री का पद संभाला लेकिन वह केवल 24 दिन तक ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रह पाईं।

जे जयललिता

जे जयललिता सन् 1991 में 41 साल की उम्र में तमिलनाडु की दूसरी महिला सीएम मुख्यमंत्री बनी। उन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। 1991 से 2016 के बीच वह पांच बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं। वह एआईडीएमके पार्टी का प्रतिनिधित्व करती थीं।

मायावती

मायावती 1995 में 39 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं। वह उत्तर प्रदेश की कुल चार बार महिला मुख्यमंत्री रहीं। उन्होंने 1995 से 2007 के बीच चार बार मुख्यमंत्री पद संभाला है। वह बहुजन समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करती थीं।

राजिंदर कौर भट्टल

राजिंदर कौर भट्टल पंजाब की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं, जो 1996 में 41 साल की उम्र में पंजाब की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उनका कार्यकाल केवल 3 महीने तक का ही रहा। वह कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करती थीं।

राबड़ी देवी

राबड़ी देवी ने 1997 में 42 साल की उम्र में बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला। चारा घोटाले में उनके पति और तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का नाम आने के बाद लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बना दिया। वह 1997 से 2005 के बीच कुल तीन बार बिहार की मुख्यमंत्री रही। वह राष्ट्रीय जनता दल का प्रतिनिधित्व करती थीं।

सुषमा स्वराज

सुषमा स्वराज 1998 में 40 साल की उम्र में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। वह भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व करती थीं। मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल केवल 52 दिनों तक ही रहा।

शीला दीक्षित

शीला दीक्षित दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री थीं। शीला दीक्षित कुल 15 सालों तक लगातार दिल्ली की महिला मुख्यमंत्री रहीं। वे कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करती थीं। वह लगातार 15 साल तक सबसे लंबे कार्यकाल के रूप में महिला मुख्यमंत्री बनने वाली पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। वह 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल तक दिल्ली की महिला मुख्यमंत्री रहीं।

उमा भारती

उमा भारती 44 साल की उम्र में 2003 में मध्य प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। उनका कार्यकाल कुल 8 महीने तक ही चला। वह भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व करती थीं।

वसुंधरा राजे

वसुंधरा राजे 2003 में 50 साल की आयु में राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने कुल दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला। वह 2003 से 2008 और 2013 से 2018 तक दो बार राजस्थान की महिला मुख्यमंत्री बनीं।

ममता बनर्जी

ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं, जिन्होंने 2011 में पहली बार पश्चिम बंगाल की महिला मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था। वह 2011 से अब तक (2024 तक) लगातार तीन बार मुख्यमंत्री पद पर रह चुकी हैं।

आनंदीबेन पटेल

आनंदीबेन पटेल 73 साल की आयु में 2014 में गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उनका कार्यकाल केवल दो साल का ही रहा। 2016 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

महबूबा मुफ्ती

महबूबा मुफ्ती जम्मू कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं, जिन्होंने 2016 में 57 साल की उम्र में जम्मू कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था। उनका कार्यकाल कल 2 साल का रहा क्योंकि 2018 में जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग कर दी गई।

आतिशी मारलेना

आतिशी मारलेना दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बन चुकी है। जिन्होंने सितंबर 2024 में अरविंद केजरीवाल की जगह मुख्यमंत्री पद का पदभार संभाला है।

इस तरह भारत में कुल अभी तक 17 महिलाएं अलग-अलग राज्यों में मुख्यमंत्री के पद पर सुशोभित हो चुकी हैं।


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कुछ लोग खुले प्राकृतिक वातावरण में काम करते हैं, तो कुछ वातानुकूलित कार्यालयों में। आप अपने भावी जीवन में कहाँ काम करना पसंद करेंगे? कारण सहित बताइए।

भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है?

खीर से भरा कटोरा कैसे टूट गया? (कहानी – प्रायश्चित)

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खीर से भरा कटोरा इस तरह टूट गया जब रामू की पत्नी ने अलग-अलग तरह के मेवे डालकर दूध को देर रात तक औटाया और रामू के लिए खीर बनाई। फिर उसने खीर पर सोने का वर्क चिपकाकर खीर को एक कटोरे में डाल लिया और उसे ऊंचे ताक पर रख दिया ताकि खीर तक कबरी बिल्ली ना पहुंच सके।

रामू की पत्नी ने सोचा कि जब रामू आ जाएगा तो वह रामू के सामने खीर परोसेगी। खीर को ताक पर रखकर वह अपनी सास को पान देने के लिए चली गई। ऐसे में बिल्ली ने मौका देखकर छलांग लगाई और कटोरे को नीचे गिरा दिया।

जैसे ही कटोरा जमीन पर तेज आवाज के साथ नीचे गिरा सारी खीर बिखर गई और कटोरा भी गिरकर टूट गया। कटोरे की गिरने की आवाज सुनकर रामू की पत्नी ने जल्दी से अपनी सास को पान दिया और दौड़ी-दौड़ी कमरे में आई तो देखकर वह भौंचक्की रह गई।

उसने देखा कि कटोरा टुकड़े-टुकड़े होकर जमीन पर और पड़ा हुआ है और बिल्ली जमीन पर बिखरी खीर को बड़े मन से चाट रही है।

रामू की पत्नी को आता देखकर कबरी बिल्ली तुरंत वहां से भाग गई। रामू की पत्नी को बहुत गुस्सा आया लेकिन वह कुछ नहीं कर सकती थी। पूरे अफसोस में वह पूरी रात सो ना सकी।

संदर्भ कहानी

कहानी – प्रायश्चित, लेखक – भगवतीचरण वर्मा


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मनुष्य को अपने कर्म पर अधिकार होना चाहिए। इस विषय पर अनुच्छेद लिखें।

रहीम ने पशु और मनुष्य में से किसे श्रेष्ठ गाना है? a) मनुष्य को b) पशु को c) ना मनुष्य को ना पशु को d) दोनों को ही

व्यंजन वर्णों के विषय में कौन-सा कथन उपयुक्त नहीं है— (i) व्यंजन वर्णों के उच्चारण में वायु मुँह के विभिन्न भागों से घर्षण करती हुई निकलती है। (ii) व्यंजन वर्णों को मात्रा सहित लिखा जाता है। (iii) व्यंजन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है। (iv) अपने मूल रूप में व्यंजन वर्ण हलंत के साथ लिखे जाते हैं।

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सही विकल्प होगा…

(ii) व्यंजन वर्णों को मात्रा सहित लिखा जाता है।

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स्पष्टीकरण :

व्यंजन वर्णों के संबंध विषय में यह कथन उपयुक्त नहीं है कि व्यंजन वर्णों को मात्रा सहित लिखा जाता है। व्यंजन वर्णों को बिना मात्रा के भी स्वतंत्र रूप से लिखा जा सकता है।

शेष तीनों कथन व्यंजन वर्णों के विषय में उपयुक्त हैं।

पहला कथन कि व्यंजन वर्णों के उच्चारण में वायु मुंह के विभिन्न भागों से घर्षण करती हुई निकलती है, उपयुक्त है।
व्यंजन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है, यह कथन भी उपयुक्त है।

अपने मूल रूप में व्यंजन वर्ण हलंत के साथ लिखे जाते हैं, यह कथन भी उपयुक्त कथन है। जब वर्णों का विच्छेद किया जाता है तो वर्णों को उनके मूल स्वरूप में लिखा जाता है। तब व्यंजन वर्णों को हलंत के साथ लिखा जाता है।

इसीलिए दूसरा कथन व्यंजन वर्णों को मात्रा सहित लिखा जाता है, व्यंजन वर्णों के विषय में उपयुक्त कथन नहीं है।


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‘गाड़ी’ पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग?

‘तस्मादेव’ का संधि-विच्छेद कीजिए।

कुछ लोग खुले प्राकृतिक वातावरण में काम करते हैं, तो कुछ वातानुकूलित कार्यालयों में। आप अपने भावी जीवन में कहाँ काम करना पसंद करेंगे? कारण सहित बताइए।

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कुछ लोग खुले प्राकृतिक वातावरण में काम करते हैं तो कुछ वातानुकूलित कार्यालय में काम करना पसंद करते हैं। यदि हमसे पूछा जाए कि अपने भावी जीवन में हम कहां काम करना पसंद करेंगे तो इसका चयन हमें परिस्थितियों के अनुसार करना होगा।

वैसे तो हम खुले प्राकृतिक वातावरण में काम करने को प्राथमिकता देना चाहिए लेकिन हर परिस्थिति और हर जगह ऐसा संभव नहीं हो सकता। कार्यालय संबंधी कार्य खुले प्राकृतिक वातावरण में नहीं किया जा सकते, उनके लिए बंद कार्यालय की आवश्यकता होती है। कुछ कार्य ऐसे हैं जो प्राकृतिक वातावरण में आराम से किया जा सकते हैं तो हम उन्हें प्राकृतिक वातावरण में काम करने को ही प्राथमिकता देंगे।

हमारी पहली प्राथमिकता अधिक से अधिक प्राकृतिक वातावरण में काम करने की रहेगी। जहां पर प्राकृतिक एवं खुले वातावरण में काम करना संभव नहीं हो वहीं पर हम कार्यालय में काम करने का विकल्प चयन करेंगे। हम प्रकृति के जितने अधिक निकट रहेंगे अपनाएंगे हमारा शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य उतना ही अच्छा रहेगा। अच्छे जीवन के लिए शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होना बेहद अनिवार्य है।

आजकल की अपने जीवन शैली में लोग वातानुकूलित वातावरण पर पूरी तरह निर्भर हो गए हैं। वह बंद ऑफिस और एसी कमरों से बाहर नहीं निकालना चाहते। यह उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है। हम ऐसा जीवन नहीं अपनाना चाहेंगे।

अपने कार्यालय में भी अगर हमें बंद कार्यालय में काम करने का भी अवसर मिलेगा तो हम ऐसी व्यवस्था करने की कोशिश करेंगे कि कार्यालय में भी अधिक से अधिक प्राकृतिक वातावरण उत्पन्न हो। हर समय बंद एसी कमरों में काम करने का विकल्प चयन करने से हम बचना चाहेंगे। जब तक बहुत बड़ी आवश्यकता ना हो।


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मनुष्य को अपने कर्म पर अधिकार होना चाहिए। इस विषय पर अनुच्छेद लिखें।

रहीम ने पशु और मनुष्य में से किसे श्रेष्ठ गाना है? a) मनुष्य को b) पशु को c) ना मनुष्य को ना पशु को d) दोनों को ही

मनुष्य को अपने कर्म पर अधिकार होना चाहिए। इस विषय पर अनुच्छेद लिखें।

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यह बात बिल्कुल सही है कि मनुष्य को अपने कर्म पर अधिकार होना चाहिए। यहाँ अधिकार से तात्पर्य नियंत्रण से है। मनुष्य अपने कर्मों को अपने अनुसार नियंत्रित करना चाहिए।

मनुष्य के कर्मों के अनुसार ही उसे उसका फल प्राप्त होता है। यदि वह अच्छे कर्म करेगा तो उसे जीवन में अच्छा फल प्राप्त होगा। बुरे कर्म करने पर उसे उसका बुरा परिणाम भी भुगतना पड़ेगा। इसलिए मनुष्य को सोच समझकर कर्म करना चाहिए।

मनुष्य को अपने अच्छे कर्म और बुरे कर्म में भेद करना आना चाहिए ताकि वह अधिकारपूर्वक अच्छे कर्मों को चुन सके और उनका अच्छा फल प्राप्त कर सके। यदि मनुष्य का अपने कर्मों पर नियंत्रण नहीं होगा तो वह अच्छे और बुरे कर्मों में भेद नहीं कर पाएगा और बुरे कर्म भी करता रहेगा। इससे उसे बुरे परिणाम भी देखने पड़ सकते हैं। इसलिए एक आदर्श और सदाचारी जीवन के लिए आवश्यक है कि मनुष्य का अपने कर्मों पर अधिकार होना चाहिए।


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रहीम ने पशु और मनुष्य में से किसे श्रेष्ठ गाना है? a) मनुष्य को b) पशु को c) ना मनुष्य को ना पशु को d) दोनों को ही

‘गाड़ी’ पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग?

रहीम ने पशु और मनुष्य में से किसे श्रेष्ठ गाना है? a) मनुष्य को b) पशु को c) ना मनुष्य को ना पशु को d) दोनों को ही

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इसका सही विकल्प होगा

(d) ना मनुष्य को ना पशु को

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व्याख्या 

रहीम ने पशु और मनुष्य में ले ना ही मनुष्य को और ना ही पशु को श्रेष्ठ माना है। रहीम के अनुसार पशु तो पशुवत व्यवहार करते ही हैं, लेकिन कई परिस्थितियों में वह मनुष्य से भी अच्छा व्यवहार करते हैं। वहीं कुछ मनुष्य पशुओं से भी बढ़कर पशु होते हैं। वह धन के लिए अपना सब कुछ दे देते हैं और पशुओं से भी निम्नस्तर का व्यवहार करते हैं। ऐसे मनुष्य कहलाने लायक नहीं होते क्योंकि वह पशुओं से भी बुरे पशु होते हैं।

इसलिए रहीम ना तो मनुष्य को श्रेष्ठ मानते हैं और ना ही पशु को। मनुष्य और पशु दोनों में अच्छे और बुरे तरह के प्राणी पाए जाते हैं।


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‘गाड़ी’ पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग?

मोहन ने पेट में ऐसे-ऐसे का बहाना बनाया था यदि आप मोहन के स्थान पर होते तो क्या बहाना बनाते हो?

‘गाड़ी’ पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग?

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गाड़ी शब्द एक स्त्रीलिंग शब्द है।

गाड़ी : स्त्रीलिंग

स्पष्टीकरण :

स्त्रीलिंग शब्द वे शब्द होते हैं जिनसे स्त्री जाति के होने का बोध होता है।
कोई भी शब्द स्त्रीलिंग है या पुलिंग है उसकी पहचान हम इसकी क्रिया के माध्यम से कर सकते हैं।
पुल्लिंग शब्दों में ‘रहा है’ क्रिया प्रयुक्त होती है तो स्त्रीलिंग शब्दों में ‘रही है’ क्रिया प्रयुक्त होती है।
यदि गाड़ी शब्द को किसी वाक्य में प्रयोग किया जाए तो ‘रही है’ क्रिया शब्द का बोध होता है।

गाड़ी शब्द को वाक्य में प्रयोग करने पर वाक्य इस प्रकार होगा

गाड़ी बहुत धीरे-धीरे चल रही है।

यहां पर क्रिया शब्द स्त्री लिंग होने का बोध कर रहा है। कर्ता के लिंग आधार पर ही क्रिया शब्द के लिंग का निर्धारण होता है। यदि कर्ता स्त्रीलिंग है तो क्रिया भी स्त्रीलिंग होगी।

इस तरह गाड़ी एक स्त्रीलिंग शब्द है।


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‘गाड़ी’ पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग?