नमक सत्याग्रह आंदोलन, जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
- इस आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी द्वारा 1930 में की गई थी।
- इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के नमक कानून का विरोध करना, जो भारतीयों को नमक बनाने और बेचने से रोकता था। गांधी जी ने अहिंसक तरीके से ब्रिटिश शासन के इस काले कानून का विरोध करने निश्चय किया था।
- आंदोलन शुरु करते ही गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी तक 388 किलोमीटर की पदयात्रा की और 6 अप्रैल को दांडी पहुंचकर उन्होंने समुद्र के किनारे से नमक बनाकर कानून तोड़ा।
- इस आंदोलन का काफी व्यापक प्रभाव पड़ा और यह आंदोलन जल्द ही पूरे देश में फैल गया। लाखों भारतीयों ने नमक कानून तोड़कर सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया।
भारत की आज़ादी के संग्राम में इस आंदोलन की भूमिका
- इस आंदोलन ने देश भर के लोगों को एक साथ ला दिया और लोग ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुट होने लगे। यह आंदोलन विश्व समुदाय का ध्यान भारत के स्वतंत्रता संग्राम की ओर खींचने में सफल रहा।
- इस आंदोलन ने आम लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया। इसका परिणाम ये हुआ कि यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया।
- इस आंदोलन ने गांधी जी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख नेता बना दिया। यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक मील का पत्थर साबित हुआ इसके माध्यम से अहिंसक प्रतिरोध की शक्ति का महत्व पता चला।
- यह आंदोलन भारत में आगे होने वाले अनेक स्वतंत्रता आंदोलनों के लिए एक आदर्श बन गया।
- नमक सत्याग्रह आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और इसे जन आंदोलन में बदल दिया। इसने ब्रिटिश शासन की वैधता पर सवाल उठाया और भारतीयों में आत्मविश्वास पैदा किया कि वे अपने दम पर स्वतंत्रता हासिल कर सकते हैं।
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ग्राहकों को अपनी अधिकारों के प्रति जागरुक होना चाहिए| “बस की यात्रा “पाठ के आधार पर लिखिए|