‘ईदगाह’ कहानी में हामिद ने खिलौने इसलिए नहीं खरीदे क्योंकि हामिद के पास बहुत अधिक पैसे नहीं थे। हामिद की दादी अमीना ने उसे तीन पैसे मिले में घूमने के लिए दिए थे, लेकिन हामिद एक समझदार लड़का था। वह गरीबी में पला-बढ़ा था. उसकी दादी अमीना दूसरे घरों में काम करके उसे पालती-पोसती थी। हामिद उन तीन पैसों का महत्व समझता था, इसलिए उसने मेले में खिलौने नहीं खरीदे। उसने सोचा खिलौने तो थोड़ी देर में ही खेल कर टूट जाएंगे पर इन तीन पैसों से कोई ऐसी उपयोगी वस्तु खरीदेगा जो लंबे समय तक काम आए।
उसने अपनी दादी को अक्सर खाना बनाते समय देखा था कि दादी के हाथ चूल्हे पर रोटी सेंकते समय जल जाते थे क्योंकि उनकी रसोई में चिमटा नहीं था। इसलिए हम इन तीन पैसों से अपनी दादी के लिए चिमटा खरीद लिया ताकि उसकी दादी की उंगलिया रुचि बनाते समय जल नहीं जाए।
टिप्पणी
‘ईदगाह’ कहानी पंछी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई बाल मनोविज्ञान पर आधारित कहानी है, जिसमें हामिद नाम के एक समझदार 8 वर्षीय बालक की समझदारी का वर्णन किया गया है।
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