अनुस्वार और अनुनासिक हिंदी व्याकरण के दो महत्वपूर्ण अवयव होते हैं। इन दोनों का उपयोग नासिक्य ध्वनियों को दर्शाने के लिए किया जाता है। अनुस्वार व अनुनासिक में सबसे मुख्य अंतर ये होता है कि अनुस्वार मूल रूप से व्यंजन होते हैं, जबकि अनुनासिक मूल रूप से स्वर होते हैं।
अनुस्वार और अनुनासिक में जो अंतर होते हैं, वे इस प्रकार हैं…
- अनुस्वार एक एक बिंदु (.) है जो अक्षर के ऊपर लगाया जाता है। जबकि अनुनासिक एक चंद्रबिंदु (ँ) है जो अक्षर के ऊपर लगाया जाता है।
- अनुस्वार का उच्चारण अगले व्यंजन के साथ मिलकर होता है जबकि अनुनासिक का उच्चारण स्वर के साथ ही नाक से होता है।
- अनुस्वार का प्रायः व्यंजनों के साथ प्रयोग किया जाता है (जैसे: संसार, अंत) जबकि अनुनासिक का केवल स्वरों के साथ प्रयोग किया जाता है (जैसे: माँ, चाँद)।
- अनुस्वार अगले व्यंजन के अनुसार बदल सकता है (जैसे: संग में ‘ङ्’ की ध्वनि) अनुनासिक हमेशा एक ही तरह से उच्चारित किया जाता है।
- अनुस्वार को अक्षर के ठीक ऊपर लिखा जाता है जबकि अनुनासिक को अक्षर के ऊपर दाईं ओर लिखा जाता है।