ग्राहकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए| “बस की यात्रा” पाठ के आधार पर लिखिए।

‘हरिशंकर परसाई’ द्वारा लिखित ‘बस की यात्रा’ नामक पाठ के आधार पर कहें तो ग्राहकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए। जब ग्राहक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहेंगे तो जब भी वह कोई वस्तु खरीदेंगे या किसी भी तरह की सेवा लेंगे तो उस वस्तु अथवा सेवा में होने वाली कमी को पहचान पाएंगे और संबंधित विक्रेता अथवा सेवा प्रदाता से संबंध में अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।

जब ग्राहक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहेंगे तो उनके पैसे का अपव्यय होने से बचेगा क्योंकि वह कोई भी खरीदारी करते समय सचेत रहेंगे। इन सब बातों का यह फायदा होगा कि उत्पादक उपभोक्ता का गलत दुरुपयोग नहीं कर सकेंगे। वह अपने उत्पादों की गुणवत्ता को सुधारने की कोशिश करेंगे, जिससे ग्राहक को भी गुणवत्ता युक्त वस्तुएं और सेवा मिलेगी।इसमें सभी का हित होगा और बाजार से निम्न गुणवत्ता वाली वस्तुओं की आवक कम होगी।’बस की यात्रा’ पाठ में भी लेखक हरिशंकर परसाई ने व्यंग्यात्मकत्मक दृष्टि से अपनी बस यात्रा का वर्णन किया है। यहाँ पर उन्होंने बस की यात्रा करते समय बस की स्थिति को देखते हुए भी उस बस में सफर किया। इसी कारण उन्हें रास्ते में अनेक परेशानी उठानी पड़ी यदि वह भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होते और देखभाल कर सही बस में बैठते तो वह उन्हें परेशानी नहीं उठानी पड़ती।

इसलिए ग्राहकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए, ये उपभोक्ता और उत्पादक दोनों के हित में होता है।


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